- भूकम्प ग्रहण, पूर्णमासी या अमावस्या के आस-पास आते हैं।
- भूकम्प आधी रात व सूर्य निकले या दोपहर के बाद व सूर्य अस्त होने के मध्य में आते हैं।
- मंगल व शनि की युति, दृष्टि या सम सप्तम स्थिति होती है।
- बृहस्पति, शनि व मंगल की वक्रीय स्थिति होती है या वक्रीय स्थिति से मार्गी होते है। उस समय भूकम्प आता है।
- दो ग्रह विशेष तौर पर चंद्रमा व बुध के अंश लगभग बराबर होते हैं व एक दूसरे से केन्द्र में होते हैं या साथ में राशि से शुरु सा अंत में रहते हैं तो भूकम्प आने की संभावना रहती है।
- भूकम्प के समय बृहस्पति, शनि व मंगल एक-दूसरे से युति, दृष्टि या समसप्तम स्थिति में रहते हैं। यह स्थिति नवांश में भी संभव है।
- चंद्रमा व बुध की युति या एक ही नक्षत्र में रहते हैं।
- उस दिन का नक्षत्र पृथ्वी तत्व या वायु तत्व का रहता है।
- जहां भूकम्प आता है वह स्थान ग्रहण के समय केन्द्र या अष्टम या द्वादश भाव में होता है।
- जब पृथ्वी सूर्य के निकट होती है तो भूकम्प की संभावना बढ़ जाती है।
- भूकम्प जब आता है तब बहुत से ग्रह प्रथम अंश के आस-पास मेष, कर्क, तुला या मकर में होते हैं।
- यूरेनस, शनि, मंगल, या बृहस्पति, वृषभ या वृश्चिक राशि में स्थित होते हैं।
- भूकम्प उन शहरों में आता है जिनके देशों की राशि में ग्रहण लगता है व शहर चतुर्थ या दशम भाव के मध्य में होते हैं।
- जब बृहस्पति को वृषभ या वृश्चिक राशि में स्थित होती है और बुध बृहस्पति से युति, दृष्टि या सम सप्तम होता है। (अन्य विद्वानों के अनुसार जब बृहस्पति वृषभ या वृश्चिक राशि में स्थित होता है और बुध चंद्रमा के साथ युति, दृष्टि या समसप्तम संबंध स्थापित करता है।)
- जब बहुत से ग्रह एक का ही राशि में एकत्र होते हैं।
- भूकम्प कहां आएगा के निकालने के दो नियम है - 1. देश या शहर की राशि को देखना, 2. ग्रहण के अंश निकले। चतुर्थ या दशम भाव में जो शहर पड़ेगा उसमें भूकम्प आएगा।
Tuesday 8 May 2018
भूकंप का ज्योतिषीय रहस्य।
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